Ram Navmi 2023 | Ram Navmi Kyu Manaya Jata Hai | रामनवमी क्यों मनाया जाता है

By Amit Bharadwaj

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भारत देश जहां हमारे सनातन धर्म में अनेकों पर्व मनाए जाते हैं और हमारे देश की हिन्दू पंचांग त्योहार से भरे पड़े होते हैं जिनमें से एक त्यौहार रामनवमी है जिसको मनाने के लिए पूरे हिन्दू धर्म के लोग हर साल इंतजार करते हैं और वक्त आने पर हम इसे बहुत धूमधाम और श्रद्धा से मनाते हैं जो कि वर्ष में केवल एक बार आता है।

रामनवमी त्योहार जो हम मनाते हैं यह हमारे भगवान श्री राम जी के जन्म उत्सव के तौर पर मनाया जाता है ।

सनातन धर्म में भगवान श्री राम को हम लोग एक आदर्श पुरुष के रूप में जानते हैं जिन्हों ने धर्म की स्थापना के लिए जन्म लिया था ।

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राम नवमी क्या है | Ram Navmi Kyu Manaya Jata Hai

रामनवमी हमारा एक ऐसा त्यौहार है जिसको पूरे भारत वर्ष के लोग एक साथ मनाते हैं । कहा जाता है कि रामनवमी के दिन भगवान श्री राम जी ने जन्म लिया था इसी कारण हर वर्ष हम हिन्दू भगवान राम के जन्म दिवस को रामनवमी के तौर पर बहुत धूमधाम से मनाते हैं । रामनवमी के शुभ अवसर पर बहुत से लोग अपना आस्था प्रकट करने के लिए भगवान राम के लिए व्रत रखते हैं और पाठ पूजा करते हैं । जैसा कि यह त्योहार भगवान राम से जुड़ा हुआ है इसलिए हिन्दू धर्म के लोगों के लिए यह दिन काफी शुभ होता है ।

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रामनवमी के दिन चैत्र की नवरात्रि समाप्त होती है और इस दिन काफी अधिक मात्रा में हिन्दू लोग अयोध्या जाकर सरयू नदी में स्नान करते हैं ।इस दिन हर जगह पर व्रत रखे जाते हैं और हवन कराए जाते हैं । हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने पर हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है ।

रामनवमी के दिन अयोध्या में राम मेले का आयोजन किया जाता है जिस में हर वर्ष बहुत सारे लोग आते हैं जिससे वहांअच्छी खासी भीड़ लग जाती है । रामनवमी के दिन सारे भक्त स्नान करने के बाद घरों में मंदिरों में रामचरित मानस का पाठ करते हैं ।

रामनवमी का त्यौहार हर वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है । ऐसी मान्यता है कि चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्री राम जी ने जन्म लिया था ।

रामनवमी का इतिहास | Ram Navmi Kyu Manaya Jata Hai

रामनवमी का इतिहास अयोध्या से शुरू होती है, जहां के राजा दशरथ और उनकी तीन पत्नियां थी । फिर भी उनकी तीनों पत्नियों से संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई जिसके कारण राजा दशरथ काफी परेशान थे । एक दिन राजा दशरथ को संतान प्राप्ति के लिए महर्षि वशिष्ठ ने राजा को यज्ञ करवाने को कहा ।

उनकी बात मान कर राजा दशरथ ने महर्षि से यज्ञ संपन्न कराया । यज्ञ समाप्त होने के बाद महर्षि ने राजा दशरथ की तीनों रानियां को खीर ग्रहण करवाया और उसके ठीक नौ महीने बाद सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान श्री राम को जन्म दिया, कैकई ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया ।

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श्री राम को भगवान विष्णु के दस अवतारों में से सातवां अवतार माना जाता है । भगवान श्री राम का जन्म पृथ्वी पर रावण और असुरों का विनाश कर एक नए धर्म की स्थापना करने के लिए हुआ था ।

हम लोग रामनवमी क्यों मनाते हैं | Ram Navmi Kyu Manaya Jata Hai

त्रेता युग में भगवान विष्णु ने अपने सातवें अवतार में भगवान राम के रूप में जन्म लिया था । भगवान श्री राम का जन्म रावण के अत्याचारों और दुष्टों का सर्वनाश कर एक नए धर्म की स्थापना के लिए हुआ था । यही कारण है कि हम हिदू भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में रामनवमी का पर्व मनाते हैं ।

हमारे शास्त्रों के अनुसार यह भी माना जाता है कि भगवान राम ने जब लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए माता दुर्गा की उपासना की थी यही कारण है कि चैत्र मास की नवरात्रि के समापन के बाद ही राम नवमी का पर्व आता है ।

भगवान श्री राम की जन्म कथा | Ram Navmi Kyu Manaya Jata Hai

भगवान श्री राम हमारे भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे जिन्होंने राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या की कोख से त्रेतायुग मे जन्म लिया था । भगवान राम ने रावण के अत्याचारों से मुक्त कर और लंका पर विजय हासिल करने के बाद अपने मित्र विभीषण जो कि रावण का भाई था उसका लंका में राज्यअभिषेक करा कर उसे वहां का राजा बनाया और पुनरधर्म की स्थापना की ।

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भगवान राम जी के जन्म का उल्लेख | Ram Navmi Kyu Manaya Jata Hai

हम सभी लोग जानते हैं कि भगवान श्री राम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था हमारे पुराणों में इस बात को लेकर अलग-अलग प्रकार के मतभेद हैं कि श्री राम जी का जन्म आखिर कब हुआ था ।

जो कथाएं सबसे ज्यादा प्रचलित है उनके अनुसार श्री राम जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को हुआ था जिसे हम रामनवमी के रूप में पूरे भारत में मनाते हैं ।

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अब तक कई युग आए और कई युग चले गए फिर भी हमारे हिदू सभ्यता में यह सवाल आज तक बना हुआ है कि आखिर श्री राम जी का जन्म कब हुआ था । इस बात पर आज भी मतभेद होते आए हैं की किस वर्ष और किस तारीख को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था । इस बात को आज तक किसी ने भी प्रमाणित नहीं कर पाया कि भगवान श्रीराम का जन्म किस तारीख, माह और वर्ष में हुआ था ।

वैज्ञानिक एवं कंप्यूटर द्वारा निकल गए जन्म की तारीख

वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण में श्री राम जी के जन्म के समय के ग्रहों व नक्षत्रों को ध्यान में रखते हुए प्लेनेटेरियम सॉफ्टवेयर के द्वारा पता लगाया गया तो पाया गया कि श्री राम जी के जन्म की तिथि 4 दिसंबर ईसा पूर्व यानी 9349 वर्ष पहले हुई थी ।

वाल्मीकि जी कहते हैं श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को पुनर्वसुनक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ था उस समय पाँच ग्रह अपनी उच्चतम स्थिति में थे ।

अगर देखा जाए तो श्री राम जी की जन्म की कई मान्यताएं हैं और कुछ उनके जन्म की तिथि भी सही तय नहीं कर पाए हैं फिर भी हिदू धर्म में श्री राम जी के रामनवमी को उनके जन्म के रूप में बहुत धूमधाम से हम लोग मानते हैं ।

श्री राम जी के जीवन से हमें क्या सीखने को मिलता है

आचरण – भगवान श्री राम का आचरण सदा पवित्र रहा है जो आज हमारेजीवन से गायब हो चुकी है आज हम आचरण से मतलबी और झूठे हो गए हैं ।

आज्ञा पालन – जब अयोध्या में भगवान राम का राज्याभिषेक होने वाला था तब माता कैकई नहीं चाहती थी कि वह राजा बने । वह चाहती थी उनके पुत्र भरत राजा बने इसलिए उन्होंने राम को उनके पिता दशरथ द्वारा 14 वर्ष का वनवास दिलाया । उनके पिता नहीं चाहते थे कि राम वनवास जाएं पर फिर भी पिता का वचन पूरा करना था ।

रघुकुल रीत सदा चली आई,
प्राण जाए पर वचन न जाई

जब भगवान राम को पता चला कि मेरे पिता ने माता कैकई को वचन दिया हैं जिस वचन को मुझे पूरा करना होगा और अपने पिता का आज्ञा का पालन करना होगा इसलिए भगवान ने अपने लिए वनवास को चुना ।

धैर्य – अगर आपने रामायण पढ़ा होगा तो आपको पता होगा भगवान ने अपना धैर्य कभी नहीं खोया और ना ही वह गुस्सा कि या करते थे क्योंकि क्रोध कम को बिगाड़ता है उनको सही नहीं करता । इसीलिए यह गुण भी हमें भगवान राम जी से जरूर सीखना चाहिए ।

कर्म – सभी को पता है भगवान श्री राम भगवान विष्णु के ही रूप थे । भगवान रूप होते हुए दुनिया में सभी कार्य को करना राम जी के लिए संभव था पर फिर भी इन्होंने इंसान के रूप में अपने कर्म को पूर्ण किया पर आज हम कर्म नहीं करना चाहते हैं बस बैठे-बैठे फल की इच्छा करते हैं पर भगवान राम जी के रूप से हमें समझना चाहिए की भगवान ने भी कर्म किए हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते ।

धर्म की रक्षा – धर्म से बड़ा कुछ नहीं होता क्योंकि धर्म ही खत्म हो गया तो हम खुद पर खुद खत्म हो जाएंगे । हमें भगवान राम जी से सीखना चाहिए कि उन्होंने कैसे धर्म की रक्षा की थी और और धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने कितनी बड़ी युद्ध लड़ी थी । हमें भगवान श्री राम से सीखना चाहिए कि धर्म की रक्षा के लिए यदि कोई लड़ाई भी लड़नी पड़े तो हम उसका डटकर मुकाबला करें और धर्म की स्थापना करें ।

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नियति – आपने सनु होगा बड़ों के मुंह से की, नियति में जो लिखा है वही मिलता है, नियति से न कोई लड़ सका है और ना ही लड़ पाएगा ।
श्री राम भगवान के रूप थे और वह चाहते तो नियति को बदलकर जो चाहिए वह पा लेते पर उन्होंने कभी भी नियति को बदलने की कोशिश नहीं की ।

पाठ पूजा – हम सभी इंसानों को रोज सुबह उठकर स्नान कर भगवान की पूजा आराधना करनी चाहिए जो कि आज के लोग पूजा पाठ नहीं करते हैं । यह कार्य सभी को करना चाहिए और श्री राम से सीखना चाहिए जब श्री राम खुद भगवान विष्णु के रूप होते हुए वह भगवान शंकर की रोज पूजा अर्चना करते थे ।

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