MSME – How MSMEs are classified | एमएसएमई क्या होता है

दोस्तों आज हम बात करेंगे एमएसएमई (MSME) डिपार्टमेंट क्या है या आपका व्यापार किस कैटेगरी में आता है   या आपकी सेवाएं किस कैटेगरी में आती हैं| दोस्तों इस को समझने के लिए सबसे पहले देखते हैं एमएसएमई क्या है

एमएसएमई क्या होता है

MSME (माइक्रो स्मॉल मीडियम एंटरप्राइज)

M – माइक्रो (Micro)

S – स्मॉल (Small)

M – मीडियम (Medium)

E – एंटरप्राइज (Enterprise)

यह भारत सरकार का एक ऐसा उपक्रम है जिसकी स्थापना 16 जून 2006 को की गई| इस संस्थान का उद्देश्य मध्यम वर्ग, सूक्ष्म वर्ग एवं लघु वर्ग के बिजनेस और सेवाएं प्रदान करने वाले बहुत सारे व्यापारियों की मदद करना था क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था में देश की आर्थिक विकास इन लोगों पर बहुत अधिक निर्भर करता है क्योंकि एमएसएमई की मुख्य भूमिका व्यापार में बहुत अधिक है|  एमएसएमई सेवाएं बहुत अधिक प्रदान करते हैं|

भारतीय अर्थव्यवस्था को विकास करने के लिए भी इनका एक बहुत महत्वपूर्ण रोल है | भारत सरकार ने जब यह उपक्रम बनाया तो इसका उद्देश्य व्यापारियों की मदद करना था, व्यापारियों को अनेक वर्ग मे सेवाएं प्रदान करना था, और इसका उद्देश्य हम किस तरह से इसका लाभ ले सकते हैं |

एमएसएमई डिपार्टमेंट को समझने के लिए पता होना चाहिए कि हमारा व्यापार MSME में किस कैटेगरी के अंतर्गत आता है, हमारे व्यापार की अवस्था क्या है, हमारे व्यापार की इन्वेस्टमेंट क्या है| सरकार हमें लघु उद्योग, सूक्ष्म उद्योग या छोटे उद्योग में किस कैटेगरी में रखना पसंद करती है| इसमें पूंजी की मात्रा बहुत कम लगानी होती है और देश के आर्थिक विकास में इसका बहुत महत्वपूर्ण रोल है क्योंकि हमारे देश में जितने भी बड़े उद्यम हैं उनका रोल लगभग 50% है और 50% रोल हमारे देश के आर्थिक विकास में MSME का है| एमएसएमई के कांसेप्ट को समझने के लिए सबसे पहले हमें इसके बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए|

एमएसएमई डिपार्टमेंट क्या है और कैसे काम करता है

यह एमएसएमई माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज डिपार्टमेंट है, भारत में सरकार ने इसका उद्देश्य इसलिए बनाया ताकि वह छोटे व्यापारी, लघु व्यापारी और स्माल स्केल इंडस्ट्रीज को हेल्प कर पाए|भारत सरकार ने 16 जून 2006 को इसकी स्थापना की|

इसका उद्देश्य आपके व्यापार को हमेशा मदद करना होता है क्योंकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था में 2.5 मिलियन एमएसएमई हैं जो हमारे देश की टोटल जनसंख्या में से 30 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं|भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 50% प्रोडक्शन तो हमें एमएसएमई से प्राप्त होता है और यदि विदेश व्यापार की बात करें तो 45% से अधिक कंट्रीब्यूशन एक्सपोर्ट में एमएसएमई का है|

भारत सरकार ने एमएसएमई को दो भागों में बांटा है

1. मनुफैक्चरिंग

2. सर्विसेज

कैटेगरी को समझने के लिए हमें यह पता होना चाहिए कि हमारा यह व्यापार कैटेगरी के बाद सब कैटिगरीज में कहां आता है| मतलब क्या हमारा बिज़नेस माइक्रो है, स्माल है या मीडियम इंटरप्राइज है, और इसका निर्धारण भारत सरकार ने आपके व्यापार में निवेश की पूंजी के आधार पर किया है|

आपके व्यापार में कितना इन्वेस्टमेंट लगा है, कितना प्लांट और मशीनरी है, कितना इंफ्रास्ट्रक्चर है, कितना ईक्विपमेंट है, इसके आधार पर आपके बिज़नस को कैटिगराइज किया गया है| इंडस्ट्रीज को अलग अलग सब केटोगोरिज में डिवाइड किया गया है जैसे फूड एंड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, एग्रीकल्चरल एंड इनपुट इंडस्ट्रीज, केमिकल एंड कॉस्मेटिक इंडस्ट्रीज, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रो मेडिकल इक्विपमेंट्स, टैक्सटाइल एंड गारमेंट, मिंट प्रोडक्ट्स, स्पोर्ट्स गुड्स, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर आदि|

इन इंडस्ट्रीज को मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस में अलग-अलग डिफाइन किया गया है :-

मैन्युफैक्चरिंग

1. प्रिंटिंग

2. मेडिकल इक्विपमेंट

3. आयुर्वेदिक प्रोडक्ट

4. बीड़ी/सिगरेट मेनूफैक्चरिंग और दूसरे टोबेको प्रोडक्ट्स

5. पवनचक्की के माध्यम से बिजली का उत्पादन

सर्विसेज

1. पब्लिशिंग

2. हॉस्पिटल

3. रेस्टोरेंट्स

4. होटल

5. शिक्षा

6. ट्रेनिंग

7. सॉफ्टवेयर सर्विसेज

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अब हमें पता ही नहीं है कि हमारा बिज़नेस सर्विसेज में या मैन्युफैक्चरिंग में किस केटेगरी में आता है तो भारत सरकार ने प्लांट एंड मशीनरी एंड इक्विपमेंट के आधार पर अलग-अलग क्लासिफिकेशन किया है जैसे माइक्रो इंडस्ट्रीज या माइक्रो सर्विस प्रोवाइडर, उनमें यदि मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो यदि आपका इन्वेस्टमेंट 25 लाख तक का है तो आप मैन्युफैक्चरिंग मे माइक्रो और सर्विसेज में यदि आपका इन्वेस्टमेंट 10 लाख तक का तो आप माइक्रो में आते हैं|

ठीक उसी तरह से स्माल इंडस्ट्रीज में अगर आपका इन्वेस्टमेंट 25 लाख से अधिक लेकिन 5 करोड़ तक का है तो आप स्माल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में आते हैं और यदि आप का इन्वेस्टमेंट 10 लाख से अधिक लेकिन 3 करोड़ तक का है तब भी आप स्माल सर्विस प्रोवाइडर में आते हैं|

यदि आपका इन्वेस्टमेंट 5 करोड़ से 10 करोड़ के बीच में है तो आप मीडियम इंडस्ट्रीज में आते हैं| यही बात अगर सर्विसेज पर हो तो 2 करोड़ से 5 करोड़ तक आपकी वैल्यूएशन है तो आप मीडियम सर्विस प्रोवाइडर में आते हैं| मतलब माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज को इस तरह से डिवाइड किया गया है|

अब प्रॉब्लम यह है कि यह तो समझ लिया कि हम किस कैटेगरी के अंदर आते हैं लेकिन हमें यह पता ही नहीं है कि हम भारत सरकार के बेनिफिट कैसे ले सकते हैं| भारत सरकार के जितने भी स्कीम के बेनिफिट्स ऑफ लेना चाहते हैं उससे पहले आप एमएसएमई में रजिस्टर्ड होने चाहिए| एमएसएमई का सर्टिफिकेशन आपके पास होना चाहिए|

दोस्तों आप सर्टिफिकेशन लेने के बाद भारत सरकार की स्कीम का फायदा उठा सकते हैं|

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